झारखंड की राजनीति में भूचाल, पूर्व सीएम ने DGP पर जताया गंभीर डर

जल, जंगल जमीन और प्राकृतिक खनिज संपदा से संपन्न राज्य झारखंड की भी अजीबोगरीब कहानी है. आम जनता की बात छोड़िए अब तो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह नेता प्रतिपक्ष को ही डर सताने लगा है. वह भी किसी अपराधी से नहीं, बल्कि झारखंड के ही पुलिस कप्तान, डीजीपी (आईपीएस) अनुराग गुप्ता से. चौकिए मत! यह हकीकत है. खुद झारखंड के नेता प्रतिपक्ष सह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह आशंका जताई.
उन्होंने मीडिया के समक्ष कह दिया कि झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता गैर कानूनी रूप से अपने पद पर काम कर रहे हैं. इस तरह के डीजीपी किसी की हत्या कर दें तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? चूंकि 30 अप्रैल 2025 को ही डीजीपी अनुराग गुप्ता का कार्यकाल समाप्त हो चुका है.
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बावजूद इसके वह अपने पद पर गैर कानूनी तौर से काम कर रहे हैं. उन्हें तो सस्पेंशन का डर भी नहीं है. उनकी सर्विस तो पहले ही समाप्त हो चुकी है, उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि एक प्रकार से क्राइम करने के लिए ही डीजीपी अनुराग गुप्ता को राज्य के मुख्यमंत्री ने रखा है.
मुझे खुद लग रहा है डर… बोले बाबूलाल मरांडी
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने तो यहां तक कह दिया कि मुझे खुद को ही डर लगता है. आजकल घूमने में क्या पता कहा किससे हमला करवा देंगे और ऐसा होगा तो इसके लिए कौन रिस्पांसिबल होगा.
यह बात राज्य के मुख्यमंत्री को बताना चाहिए. जब कोई लीगल नहीं है, उसके बावजूद कोई डीजीपी के पद पर बैठ कर काम कर रहे हैं, तो यह आश्चर्य की बात है. भारत के किसी भी अन्य राज्य में ऐसी स्थिति नहीं है.
बता दें कि पूर्व में भी नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए यह कहा था कि झारखंड देश का पहला राज्य है, जो डीजीपी विहीन है.
डीजीपी के खिलाफ बाबूलाल मरांडी ने खोला मोर्चा
गौरतलब है कि झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता का 30 अप्रैल, 2025 को ही उनकी सेवा समाप्त हो चुकी है. उन्हें सेवानिर्वित (रिटायर) नहीं किए जाने पर राज्य के नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि झारखंड देश का पहला राज्य है जो संवैधानिक रूप से बगैर डीजीपी के ही चल रहा है.
उन्होंने कहा कि 30 अप्रैल को ही सेवानिवृति होने के बावजूद अनुराग गुप्ता किस हैसियत से डीजीपी के पद पर काम कर रहे हैं? जबकि राज्य सरकार को केंद्र सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार नहीं देते हुए हटाने का आदेश दे दिया था. ऐसे में झारखंड देश का पहला राज्य है जो संवैधानिक रूप से बिना डीजीपी के चल रहा है.
यही नहीं झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने तो पिछले दिनों डीजीपी अनुराग गुप्ता पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि एक आईपीएस अफसर जिस पर भ्रष्टाचार, पक्षपात और फ्रॉड का आरोप हो, कोई भी सरकार अपने राज्य और जनता की सुरक्षा उसके हवाले कैसे कर सकती है?
डीजीपी अनुराग गुप्ता का विवादों से रहा है पुराना नाता
1990 बैच के आईपीएस अनुराग गुप्ता के ऊपर आरोपों की लिस्ट काफी लंबी है. उन पर बिहार के जमाने में मगध विश्वविद्यालय थाना केस संख्या 64/2000 आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 474, 109, 116, 119, 120(बी) एवं 201 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत का केस हुआ था.
उन्होंने कहा था कि जहां तक मुझे याद है कि मेरे मुख्यमंत्रित्व काल के अंतिम दिनों में उस मामले में प्रॉसिक्यूशन सैंक्शन के लिये बिहार से अनुरोध पत्र भी आया था. उस पर आगे क्या हुआ यह मुझे याद नहीं है. जबकि हेमंत सोरेन ने खुद इन्हें 24 फरवरी 2020 से 9 मई 2022 (26 महीने) निलंबित किए रखा. लेकिन इस दौरान हेमंत सोरेन और अनुराग गुप्ता की नजदीकियां इतनी बढ़ीं कि सस्पेंशन की अवधि खत्म होते ही हेमंत सोरेन ने अनुराग गुप्ता को वापस झारखंड में ही नियुक्ति दे दी.
आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को पूर्व में इसी हेमंत सोरेन की सरकार ने 26 महीने तक निलंबित रखा था, लेकिन अब वहीं आईपीएस अनुराग गुप्ता, हेमंत सरकार के दुलारे अधिकारी बन गए हैं. और अब तो 30 अप्रैल, 2025 को उनके सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्हें असंवैधानिक तरीके से झारखंड के डीजीपी बना कर रखे हुए हैं. जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पत्र भेज कर राज्य सरकार को अवगत करा दिया था कि 30 अप्रैल को रिटायरमेंट के बाद, वह डीजीपी के रूप में आगे कार्य नही कर सकते हैं.